प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों राहुल गांधी के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की थी। बाद में उन्होंने राहुल गांधी के करीबी कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ भी बैठक की थी। राहुल गांधी से प्रशांत की मुलाकात के दौरान प्रियंका गांधी और वेणुगोपाल दोनों मौजूद थे। मुलाकात के बाद से ही किशोर को लेकर सियासी हलकों में अटकलें लगाई जाने लगी थीं। कांग्रेस को अगले साल उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ना है। कांग्रेस इन चुनावों में प्रशांत किशोर के अनुभव का लाभ उठाना चाहती है। प्रशांत की कांग्रेस में एंट्री को इन चुनावों से ही जोड़कर देखा जा रहा है।
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से पूर्व रक्षा मंत्री और वरिष्ठ नेता एके एंटनी और अंबिका सोनी को प्रशांत किशोर के संबंध में पार्टी नेताओं के विचारों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से प्रशांत किशोर के खिलाफ मोर्चा खोले जाने को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इसके बाद प्रशांत की एंट्री की संभावनाओं को ब्रेक भी लग सकता है।
बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने लिया हिस्सा
वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के घर हुई जिस बैठक में प्रशांत की कांग्रेस में एंट्री की खिलाफत की गई,उसमें हिस्सा लेने वाले नेताओं में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा भी शामिल थे। बैठक में चुनाव से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों पर फैसले लेने की आउटसोर्सिंग की आशंका जताई गई।
जानकारों का कहना है कि बैठक में हिस्सा लेने वाले नेताओं में कई ऐसे चेहरे भी शामिल थे जिन्होंने पहले प्रशांत की पार्टी में एंट्री का समर्थन किया था। वैसे सिब्बल के घर हुई बैठक से यह साफ हो गया है कि पार्टी का एक बड़ा वर्ग और प्रशांत की पार्टी में एंट्री के पूरी तरह खिलाफ है।
प्रशांत की एंट्री का इसलिए हो रहा विरोध
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किए जाने के बाद उन्हें महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपे जाने की चर्चाएं हैं। पार्टी के नेताओं को इस बात का डर सता रहा है कि प्रशांत को पार्टी में शामिल किए जाने के बाद चुनाव से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी राय को ही अंतिम माना जाएगा। ऐसे में दूसरे वरिष्ठ नेताओं की राय का कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा।