मोदी सरकार (Modi Sarkar) के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार (Modi Cabinet Expansion) में राजनीतिक समीकरणों को साधने के साथ ही जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर भी खासा ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए चेहरों को मौका देने के साथ ही कई पुराने मंत्रियों की छुट्टी भी कर दी है। प्रधानमंत्री कई दिनों से मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा में जुटे हुए थे और माना जा रहा है कि ऐसे मंत्रियों पर गाज गिरी है जो उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे।
पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Vistar) में 10 मंत्रियों को प्रमोशन देने के साथ ही 33 नए चेहरों को शामिल किया है। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश समेत उन राज्यों का भी ख्याल रखा है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। शिवसेना और अकाली दल के मोदी कैबिनेट से बाहर होने के बाद सहयोगी दलों को भी मंत्रिमंडल में बड़ा मौका देने की पूरी कोशिश की गई है। शपथ ग्रहण से पहले अपने आवास पर पीएम मोदी ने नए मंत्रियों को पाठ भी पढ़ाया।
मंत्रिमंडल विस्तार के कारण बुधवार को सत्तारूढ़ खेमे में दिनभर सियासी गतिविधियां चरम पर रहीं। प्रधानमंत्री आवास इन गतिविधियों का केंद्र था जहां सुबह से शपथग्रहण समारोह तक दिनभर बैठकों का दौर चलता रहा। एक और बैठकों का दौर चल रहा था तो दूसरी ओर मंत्रियों के धड़ाधड़ इस्तीफे हो रहे थे। शाम छह बजे मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम शुरू होने से पहले सबसे आखिर में इस्तीफा देने वालों में वरिष्ठ मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल थे।
इनसे पहले 12 और मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इन मंत्रियों में रमेश पोखरियाल निशंक, डॉक्टर हर्षवर्धन, संतोष गंगवार, सदानंद गौड़ा, अश्वनी चौबे, देबाश्री चौधरी, प्रताप सारंगी, संजय धोत्रे, बाबुल सुप्रियो, रतन लाल कटारिया और रावसाहेब दानवे के नाम शामिल हैं। इससे पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा है कि बेहतर प्रदर्शन न करने के कारण इन मंत्रियों से इस्तीफा लिया गया है।