केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कश्मीरी पंडितों को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिस पर विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने एक ऑनलाइन चर्चा के दौरान कश्मीर वापस न लौटने के लिए कश्मीरी पंडितों को ही दोषी ठहरा दिया। लेखी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान काफी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर चले गए थे मगर महामारी का असर कम होने के बाद सभी प्रवासी मजदूर काम पर लौट आए। ऐसे में यह सवाल उठता है कि कश्मीर में त्रासदी कम होने के बाद कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर लौटने का फैसला क्यों नहीं लिया।
यह पहला मौका नहीं है जब मीनाक्षी लेखी ने विवादित बयान दिया है। पिछले दिनों उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों को मवाली बता डाला था। उनका बयान मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन गया था और लोगों ने इस बयान पर गहरी आपत्ति जताई थी। अब उन्होंने कश्मीर छोड़ने के लिए कश्मीरी पंडितों को ही दोषी ठहरा कर एक नया विवाद पैदा कर दिया है।
भाजपा के लिए पैदा हुई असहज स्थिति
कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की कोशिश में जुटी हुई है। सरकार की ओर से कश्मीरी पंडितों को एक बार फिर घाटी में बसाने की योजना को काफी महत्व दिया जा रहा है। कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी पिछले दिनों कहा था कि इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी होगी।
ऐसे में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयान को लेकर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। अपनी जमीन और घर बार छोड़ने को मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों का मुद्दा सियासी हलकों में हमेशा गरण रहा है। भाजपा कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होने के बाद हमेशा कांग्रेस को घेरती रही है। भाजपा की ओर से कश्मीरी पंडितों के मुद्दे को इतना ज्यादा महत्व दिए जाने के कारण ही कश्मीरी पंडित भाजपा का समर्थन भी करते रहे हैं मगर लेखी ने कश्मीरी पंडितों पर ही निशाना साधकर भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है।