पार्टी के सोशल मीडिया सेल के वॉलंटियर्स के साथ बैठक के दौरान कांग्रेस नेता ने यह बेबाक बयान दिया। राहुल गांधी के बयान के बाद इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। उनके बयान की टाइमिंग भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि हाल के दिनों में कांग्रेस में असंतुष्टों की गतिविधियां काफी बढ़ी हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि अपने इस बयान के जरिए राहुल गांधी ने असंतुष्ट नेताओं को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है।
बैठक में राहुल गांधी बेबाक अंदाज में दिखे और उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को पार्टी छोड़ देनी चाहिए जो भाजपा से डरे हुए हैं। हमें ऐसे लोगों की कतई जरूरत नहीं है जो आरएसएस की सोच में विश्वास रखते हैं। हमें संघर्ष करने वाले लोगों की आवश्यकता है। कई ऐसे निडर लोग हैं जो कांग्रेस में नहीं है और ऐसे लोगों को पार्टी में आना चाहिए और जो डरपोक लोग हैं उन्हें पार्टी से अलग हो जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारा सिद्धांत है कि निडर लोगों के दम पर ही संघर्ष किया जा सकता है। पार्टी में जो लोग डरे हुए थे वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह पार्टी छोड़कर चले गए। राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य का नाम लेते हुए कहा कि उन्हें अपना घर बचाना था और वे डर गए थे। इसलिए उन्होंने आरएसएस ज्वाइन कर लिया। सच्चाई तो यह है कि हमें ऐसे लोगों की कोई जरूरत ही नहीं है। हमारा संदेश पूरी तरह साफ है कि हमें संघर्ष करने वाले निडर लोगों की आवश्यकता है।
राहुल के इस बयान को पार्टी के असंतुष्टों के लिए बड़ा संदेश माना जा रहा है। हाल के दिनों में कांग्रेस में कई राज्यों में आंतरिक कलह की स्थिति दिख रही है। खास तौर पर राजस्थान और पंजाब में पार्टी गंभीर आंतरिक कलह से जूझ रही है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच संघर्ष छिड़ा हुआ है जबकि पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू एक दूसरे पर वार-पलटवार करने में जुटे हुए हैं।