बिहार में 5 दिनों में दूसरा पुल ढह गया। शनिवार सुबह सीवान के महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा और गरौली गांव के बीच गंडक नहर पर बना पुल अचानक टूट गया। एक पिलर के धंसते ही पुल भर-भराकर नहर में समा गया।
हादसे का लाइव वीडियो भी सामने आया है, जिसमें साफ दिख रहा है कि पिलर अपनी जगह से खिसकता है, धीरे-धीरे पुल धराशायी हो जाता है। पुल के टूटने से दो गांव के बीच का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि विभाग ने नहर की सफाई कराई थी। नहर की मिट्टी काटकर बांध पर फेंकी गई थी। इस वजह से पुल का पिलर काफी कमजोर हो गया था, जिसके कारण टूट गया।
इससे 5 दिन पहले अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले मंगलवार को नदी में समा गया था। पुल 31 करोड़ रुपए की लागत से बना था। पिछले 13 साल में यह पुल तीसरी बार बन रहा था।
30 साल पहले बना था पुल
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि नहर की सफाई के दौरान विभाग ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया, जिससे पुल के पिलर पर अतिरिक्त भार पड़ गया और यह हादसा हो गया। इस पुल की चौड़ाई लगभग 30 फीट थी। लगभग 30 साल पहले इस पुल का निर्माण कराया गया था।
हालांकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन पुल के टूटने से आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है। इससे ग्रामीणों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों का स्कूल जाना, किसानों का खेतों तक पहुंचना और मरीजों का अस्पताल जाना भी मुश्किल हो गया है।
स्थानीय बलराम साह ने बताया कि यह पुल गांव के ही लोगों ने 1990 में बनवाया था। चंदा जमा करके नींव और 3 खंभे बनाए गए थे। बाद में तब के विधायक उमाशंकर सिंह ने लोगों की मांग पर पुल की ढलाई का काम कराया था। हाल में गंडक विभाग के लोगों ने नहर की सफाई करने के दौरान पिलर के पास की मिट्टी निकाल दी। आज पानी आया और कमजोर हो गया पिलर टूट गया।
ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि घटना के बाद से अभी तक कोई भी सरकारी अधिकारी स्थिति का जायजा लेने नहीं पहुंचा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन की इस अनदेखी के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल के टूटने से संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो पाया।
इस घटना से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रशासन को तुरंत इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और पुल की मरम्मत का कार्य जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए। इसके साथ ही ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि इस घटना की जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
इधर, घटना की जानकारी मिलने के बाद महाराजगंज के भूमि सुधार उप समाहर्ता (DCLR) श्रीराम रंजन सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि आवागमन बाधित नहीं हुआ है। यहां से एक किलोमीटर दूर दूसरा पुल है, उससे लोग आवाजाही कर रहे हैं। पुल गिरने के कारणों पर उन्होंने कहा कि इसके बारे में स्थानीय लोग ही बता सकेंगे। उन्हीं के सहयोग से 1991 में पुल बना था।