जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले पीडीपी की चीफ (PDP Chief) और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mohbooba Mufti) एक बार फिर पाकिस्तान (Pakistan) का राग अलापने लगी हैं। पीएम के निमंत्रण पर चर्चा के लिए हुई गुपकार गठबंधन (Gupkar Alliance) की बैठक के बाद महबूबा ने कहा कि जब सरकार तालिबान के साथ बातचीत कर सकती है तो उसे पाकिस्तान के साथ बातचीत में क्या दिक्कत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ भी बातचीत करनी चाहिए।
यह पहला मौका नहीं है जब महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान प्रेम जगा है। वे पहले भी पाकिस्तान से बातचीत करने की वकालत करती रही हैं। पाकिस्तान की ओर से आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली कार्रवाई के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो चुके हैं और बातचीत के दरवाजे बंद हो चुके हैं।
भारत का साफ तौर पर कहना है कि जब तक पाकिस्तान घाटी में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना बंद नहीं करता तब तक उसके साथ बातचीत नहीं की की जा सकती। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
श्रीनगर में गुपकार गठबंधन की बैठक के बाद महबूबा ने कहा कि सरकार की ओर से दोहा में तालिबान के साथ बातचीत की जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ बातचीत क्यों नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करके जम्मू-कश्मीर से जुड़े विभिन्न मुद्दों का समाधान किया जा सकता है मगर केंद्र सरकार की ओर से इस बात की कोई पहल नहीं की जा रही है। केंद्र सरकार को एक बार फिर पाकिस्तान से बातचीत के लिए आगे आना चाहिए।
जानकारों का कहना है कि महबूबा की यह मांग हैरान करने वाली नहीं है क्योंकि वे पहले भी पाकिस्तान से बातचीत की मांग करती रही हैं। हालांकि पाकिस्तान की ओर से आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के मुद्दे पर वे कुछ भी खुलकर बोलने से बचती रही हैं। पुलवामा आतंकी हमले के समय भी उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी टिप्पणी करने से परहेज किया था।