New Delhi/Atulya Loktantra News: ऐसा कहा जाता है कि गैस या फिर पॉटी को कभी भी रोककर नहीं रखना चाहिए लेकिन कभी-कभार इन्हें रोककर रखना हानिकारक नहीं होता है, खासकर जब आपके आस-पास बाथरूम न हो या फिर आप ऐसी स्थिति में हों, जहां से निकलना आपके वश में न हो। इन स्थितियों में आपको कभी-कभार शर्मिंदगी भी महसूस होती है। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो महसूस करते हैं कि सार्वजनिक स्थान पर शौच करना बहुत ही अनुचित होता है और वे घर लौटने तक का इंतजार करना पसंद करते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जो बच्चे कब्ज की शिकायत से परेशान रहते हैं वे दर्द से बचने के लिए अपनी पॉटी को रोकने की आदत विकसित कर लेते हैं। कुछ बच्चे पॉटी को रोक सकते हैं अगर उन्हें टॉयलेट प्रशिक्षण बहुत चुनौतीपूर्ण लगता है। लेकिन पॉटी को रोकना किसी के भी स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि एक बार जब आपको पॉटी आने लगे तो जल्द से जल्द शौच करने का प्रयास करें।
पॉटी रखना खराब क्यों?
पॉटी को रोककर रखने से कब्ज हो सकती है। जब ऐसा होता है, तो निचली आंत मल से पानी को अवशोषित करती है जो मलाशय में जमा हो जाती है। कम पानी के साथ मल को पास करना मुश्किल है क्योंकि ऐसा करना कठिन हो जाता है।
पॉटी को अक्सर रोककर रखने से असंयम (incontinence) हो सकता है, जिसमें मल कठोर होकर कोलन या मलाशय में फंस जाती है। इसके अलावा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट की दीवार में छेद भी हो सकता है। जब कोई व्यक्ति मलाशय के भीतर सेंशेन को खो बैठता है, तो उसे असंयम की परेशानी शुरू हो सकती है। इस स्थिति को रेक्टल हाइपोसेंसिटी भी कहा जाता है।
अध्ययन के मुताबिक, कोलन में बढ़ा हुआ मल भार बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है और कोलन में लंबे वक्त तक के लिए सूजन पैदा कर सकता है। कोलन में सूजन से पेट के कैंसर के विकास का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययनों में पॉटी को रोककर रखने और एपेंडिसाइटिस व बवासीर के बीच संबंध को दर्शाया गया है।
पॉटी को कितने दिनों तक रोक कर रखा जा सकता है?
हर किसी व्यक्ति के पॉटी जाने की क्षमता अलग-अलग होती है और हर व्यक्ति के शौच जाने का समय भी अलग-अलग होता है। कुछ लोग एक दिन में एक बार ही शौच जाते हैं जबकि कुछ लोगों को पेट साफ करने के लिए कई बार शौच जाने की जरूरत होती है। किसी व्यक्ति के शौच जाने की क्षमता उसकी आयु और डाइट पर निर्भर करती है। ज्यादातर लोग दिन में दो-तीन बार ही शौच के लिए जाते हैं। शौच जाने के समय में बदलाव कब्ज का संकेत हो सकता है।
ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं जिनमें कब्ज या शारीरिक मेहनत के माध्यम से मल को रोकना गंभीर जटिलताओं का परिणाम हो सकता है। एक समाचार रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में एक महिला ने 8 सप्ताह के बाद शौच किया था। मल के कारण उसकी आंतें बड़ी हो गईं, जिससे उसके अंग प्रभावित हुए और दिल का दौरा पड़ा।
जरूरत पड़े तो ऐसे रोकें पॉटी
सबसे पहली चीज पॉटी को रोकना बिल्कुल भी ठीक नहीं। हालांकि, अगर आप ऐसी स्थिति में हैं जहां आप शौच के लिए नहीं जा सकते हैं तो आप कुछ मांसपेशियों को तब तक नियंत्रित कर सकते हैं जब तक आप अपना पेट खाली नहीं करते हैं।
रेक्टल वॉल को रिलैक्स करें: रेक्टल मसल्स को रिलैक्स करने से शौच जाने की जल्दी को अस्थायी रूप से कम किया जा सकता है।
पेट पर दबाव देने से बचें: पेट पर दबाव डालने से मल को बाहर निकालने में मदद मिलती है इसलिए पेट पर दबाव न डालें।
कूल्हें की मांसपेशियों को दबाना: यह मलाशय की मांसपेशियों को तनाव में रखने में मदद कर सकता है।
स्क्वाट न करें: इसके बजाय लेट जाएं या खड़े रहें। ये बाउल मूवमेंट के लिए प्राकृतिक स्थिति नहीं हैं, इसलिए जब भी ऐसा हो तो लेट जाएं।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
शिशु में नियमित पॉटी जाने के पैटर्न को ट्रैक कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। माता-पिता को बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए खासकर तब, जब वे देख रहे हो कि बच्चा मल को रोक रहा है।
लोग पॉटी तब रोकते हैं, जब वह कब्ज से पीड़ित होते हैं, उन्हें एक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए और इलाज कराना चाहिए।