Chandigarh/Atulya Loktantra: 2020 का अंत हरियाणा की जेलों के लिए एक खुशखबरी लेकर आया है। इन जेलों में अब पहली बार अपना जेल रेडियो होगा, जिसका नाम होगा टीजेआर यानी तिनका जेल रेडियो। हरियाणा में कुल 19 जेलें हैं, जिनमें से 3 सेंट्रल जबकि 16 जिला जेल हैं। फिलहाल हरियाणा की जेलों में कुल 20,423 बंदी हैं जिनमें 900 से अधिक महिला बंदी शामिल हैं।
राज्य में जेल रेडियो की शरुआत सेंट्रल जेल अंबाला, जिला जेल पानीपत और जिला जेल फरीदाबाद से की जाएगी। दिसंबर में ऑडिशन के बाद इन तीनों जेलों के 21 बंदियों का जेल रेडियो के लिए चयन हुआ था। इनमें पानीपत के 6, अंबाला के 6 और फरीदाबाद जेल के 10 बंदी थे। इन 22 बंदियों में फरीदाबाद जेल की 5 महिला बंदी भी शामिल हैं। इन्हें यह ट्रेनिंग तिनका तिनका की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा ने दी है।
इन तीनों जेल के चयनित बंदी पांच दिवसीय रेडियो ट्रेनिंग का हिस्सा बने । ये सभी बंदी अलग-अलग उम्र, शैक्षिक पृष्ठभूमि से हैं। ट्रेनिंग का मकसद इन बंदियों को रेडियो की जरूरत और उसके महत्व को समझाते हुए रेडियो के मुताबिक कार्यक्रम बनाने के लिए तैयार करना था।
ट्रेनिंग का समापन समारोह फरीदाबाद की जेल में किया गया और इस दौरान हरियाणा जेल के महानिदेशक के. सेल्वाराज, जिला जेल फरीदाबाद के अक्षीक्षक जयकिशन छल्लर, केंद्रीय जेल, अंबाला के सुपरिटेंडेटट लखबीर सिंह बरार और जिला जेल, पानीपत के अधीक्षक देवी दयाल जूम पर मौजूद रहे। समारोह जिला जेल, फरीदाबाद में जेल के अक्षीधक जय किशन छल्लर की मौजूदगी में किया गया। इस मौके पर सभी प्रतिभागी बंदियों को सर्टिफिकेट भी सौंपे गए।
इसके तहत जेल परिसर में रेडियो स्टेशन स्थापित किया जाएगा। बाहर के लोग इससे नहीं जुड़ सकेंगे। बैरक के बाहर लगे स्पीकर के जरिए सभी रेडियो को सुन सकेंगे। इसमें रोजाना एक घंटे का कार्यक्रम होगा, जिसमें कानून, सेहत और संगीत से जुड़े कार्यक्रम होंगे। बंदी अपनी कविताएं और कहानियां भी सुनाएंगे। बंदी अपनी फरमाइश या सवाल लिखकर दे सकेंगे जिसका जवाब अगले कार्यक्रम में दिया जाएगा।
जेल में रेडियो के जरिए बंदी अपनी प्रतिभा को तराशेंगे। जेल में कलाकारों की लिस्ट तैयार की जा रही है जो जेल रेडियो में अपनी भागीदारी करेंगे। खास बात यह है कि तीनों जेल के बंदियों ने ही परिचयगान और धुन तैयार की है। जेल के सीमित संसाधनों में उन्होंने इस ऐतिहासिक कदम को संगीतबद्ध किया है।
वर्तिका नन्दा के मुताबिक अब बंदी एक-दूसरे को आरजे कहने लगे हैं। खुलकर एक-दूसरे की सरहाना कर रहे हैं। पहली बार तीन जेलों के बंदियों की एक-दूसरे से मुलाकात हुई। उन्हें जेल में उदास बंदियों से संवाद कायम करने के लिए कहा गया। कलाकारों की लिस्ट बनाई गई। माइक को पकड़े यह बंदी अब अपनी नई पहचान के साथ खड़े हैं। वे अपने साथियों के लिए काउंसिलर बन रहे हैं। कोरोना में मुलाकातों के बिना इन बंदियों में उदासी भर रही थी लेकिन अब रेडियो उनके अकेलेपन का साथी बन गया है। तिनका तिनका ने इस शुरुआत के साथ जेलों के बीच पुल बनने का काम किया है।
तिहाड़ जेल में सबसे पहले शुरू हुआ जेल रेडियो
भारत में जेल रेडियो की शुरूआत सबसे पहले 2013 में तिहाड़ जेल में हुई थी। उस समय इस समारोह को देखने के लिए खुद वर्तिका नन्दा मौजूद थीं। 31 जुलाई, 2019 को तिनका तिनका ने जिला जेल आगरा में जेल रेडियो की शुरुआत की, जो भारत की सबसे पुरानी जेल इमारत में संचालित है। इस जेल रेडियो की शुरुआत में उदय और तुहिना नामक 2 बंदी जुड़े और इसके जॉकी बने। बाद में रजत संजय ने इस रेडियो की कमान संभाली। आगरा जेल रेडियो ने उत्तर प्रदेश में पहली बार एक महिला बंदी रेडियो जॉकी के तौर पर स्थापित किया गया।
तिनका तिनका पिजन मॉडल की दूसरी कड़ी में अब हरियाणा की जेलों का रेडियो शुरु होगा। हर जेल के रेडियो का नाम उसके स्थान से जुड़ा होगा। तिनका जेल रेडियो अंबाला, तिनका जेल रेडियो फरीदाबाद, तिनका जेल रेडियो पानीपत। इन बंदियों को एक विशेष ढंग से प्रशिक्षित किया गया है और अब हर हफ्ते इन बंदियों से तैयारी की रिपोर्ट ली जाएगी।