New Delhi/Atulya Loktantra: आज भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकटों को हराने वाली चतुर्थी. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणपति को बुद्धि, बल और विवेक का देवता माना जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है. भगवान गणेश भक्तों के सभी विघ्नों को हर लेते हैं, इसीलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
– इस दिन गणपति में आस्था रखने वाले भक्त व्रत रखते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर बप्पा अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
– सबसे पहले स्नान कर लाल रंग का स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद गणपति की पूजा की शुरुआत करें.
– बप्पा की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजाएं. तिल, गुड़, लड्डू, पुष्प, धुप और चन्दन से पूजा करें.
– भगवान को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें. प्रसाद के तौर पर बप्पा को केला या नारियल चढ़ाएं.
– गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं.
– चांद के निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें.
– संकष्टी चतुर्थी की पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें. रात को चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलें.
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती हैं और घर पवित्र हो जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी घर में आ रही सारी विपदाओं को दूर करते हैं और व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन भी बहुत शुभ माना जाता है. ये व्रत सूर्योदय से प्रारम्भ होता है जो चंद्र दर्शन के बाद संपन्न होता है. पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं.