New Delhi/Atulya Loktantra : अगर आप दिवाली में पटाखे फोड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए. ऐसा करने पर दिवाली के त्यौहार में सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है. साथ ही भारी भरकम जुर्माना भरना पड़ सकता है. पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत प्रदूषण फैलाने वाले के लिए पांच से सात साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही ऐसे व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा और एडवोकेट कालिका प्रसाद काला का कहना है कि हवा को प्रदूषित होने से रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम बनाए गए हैं. साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सभी राज्यों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का गठन किया गया है. इनको वायु प्रदूषण रोकने के लिए आदेश देने और कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है.
10 करोड़ तक जुर्माना लगाने का अधिकार
एडवोकेट कालिका प्रसाद काला ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को प्रदूषण फैलाने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की सजा सुनाने और उस पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का अधिकार है. अगर 10 करोड़ रुपये के जुर्माने और जेल की सजा के बावजूद प्रदूषण जारी रहता है और एनजीटी के आदेश का पालन नहीं किया जाता है, तो जब तक आदेश का पालन नहीं कर दिया जाता है, तब तक प्रतिदिन के हिसाब से 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
एडवोकेट काला ने बताया कि अगर प्रदूषण कोई कंपनी फैलाती है, तो एनजीटी उस पर 25 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगा सकता है. अगर इसके बावजूद कंपनी प्रदूषण नहीं रोकती है और एनजीटी के आदेश के पालन नहीं करती है, तो उस पर रोजाना के हिसाब से एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्वच्छ हवा को बताया मौलिक अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि स्वच्छ वायु जीवन से जुड़ी हुई है. लिहाजा किसी को वायु प्रदूषित करने का अधिकार नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के मौलिक अधिकार के तहत स्वच्छ हवा पाने का अधिकार भी आता है. सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसले में यह बात साफ कर चुका है.
जितेंद्र मोहन शर्मा ने कहा कि अगर वायु प्रदूषण होता है, तो इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. लिहाजा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को साफ और स्वच्छ पर्यावरण मुहैया कराए. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के जीवन जीने और स्वच्छ हवा पाने के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए ही दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के फोड़ने और बिक्री पर रोक लगाई है.
दिल्ली में ऑड-ईवन स्कीम
दिल्ली सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 115 में मिलीं शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ऑड-ईवन स्कीम को लागू किया है. इसके तहत राज्य सरकारों को वाहनों को लेकर कानून बनाने की शक्ति दी गई है. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए ऑड-ईवन स्कीम लागू की है.